हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक मंडी जिले में स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर में तारारात्रि से मंगलवार को मक्खन रूपी धृतमंडल चढ़ाने की शुरूआत हो गई है। यह महाशिवरात्रि मेले के कारज का भी श्री गणेश है। पहले दिन पहाड़ी गाय के 21 किलो मक्खन से शिवलिंग का शृंगार किया गया। प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा को निभाया जाएगा। पहले शिवलिंग पर मक्खन ही चढ़ाया जाता था, शृंगार नहीं किया जाता था। अब मक्खन से शिवलिंग का शृंगार किया जाता है। देश के प्रसिद्ध मंदिरों में विराजमान भोलेनाथ का रूप उकेरा जाता है। शिवरात्रि तक यानी एक महीना तक शिवलिंग पर मक्खन से भोलेनाथ के विभिन्न रूप उकेरे जाएंगे। बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि मंदिर में प्राचीन समय से चली आ रही मक्खन चढ़ाने की परंपरा को विधि विधान के साथ निभाया जाएगा।
यह है मान्यता
मान्यता है कि मक्खन को घृत मंडल के रूप में शिव भगवान को चढ़ाया जाता था। आध्यात्मिक दृष्टि से भगवान को 11 महीने तक जल चढ़ाया जाता है। एक महीना जल की गागर को उतारकर मक्खन चढ़ाया जाता है। प्राचीन समय में राजघराने में ही मक्खन चढ़ाया जाता था लेकिन आज हर श्रद्धालु इस परंपरा में हिस्सा लेता है।
शिवलिंग पर गाय के थनों से निकलता था दूध
मान्यता है कि प्राचीन समय में एक गाय हर दिन नदी पार कर थनों से दूध की धारा भूतनाथ मंदिर के पास डालती थी। यह खबर लोगों के बीच फैल गई तो राजा अजबर सेन को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और बताया कि जिस स्थान पर गाय दूध की धारा बहाती है, वहां एक शिवलिंग है। शिव भगवान ने सपने में राजा से उस स्थान पर मंदिर बनाकर उसे भूतनाथ का नाम देने के कहा। राजा ने जाकर देखा तो वहां सचमुच एक शिवलिंग स्थापित मिला। इसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया।
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