भोले राम ठाकुर
मंडी। यह कहानी है मंडी जिला की ग्राम पंचायत नाऊ के पनाऊ गांव की जहां प्राचीन समय में गांव के लोग जब खेतों में जब काम करने जाते थे तो उनको राक्षस की झपट लग जाती थी। जिससे ग्रामीणों का खेतों में काम करना मुश्किल हो गया। राक्षस से परेशान लोग क्षेत्र की अधिष्ठात्री भगवती माता अम्बिका नाऊ के दरवार पहुंचे तथा राक्षस से रक्षा करने की माता से प्रार्थना कीे। माता अम्बिका ने अठारह पेड़े जो माता के प्रौल के प्रहरी माने जाते है, उनको राक्षस से रक्षा करने के लिए भेजा। अठारह पेड़े और राक्षस में भयंकर युद्ध हुआ और माता की कृपा से राक्षस को एक बड़ी चट्टान के नीचे दबा दिया।
लोगों को राक्षस के भय से छुटकारा मिल गया इस दिन से ग्रामीण यहां माता के प्रति श्रद्धा प्रकट करने हेतु हर वर्ष आषाढ़ मास के साजे के दिन इस बड़े पत्थर के ऊपर कई प्रकार के पकवान सीडू, भल्ले आदि चढ़ाने लगे। उस दिन यहां एक अनोखी परंपरा की शुरूआत भी हुई। इस दिन गांव के सभी बच्चे गांव की सेरी में एक खेत में घरीशनी जानी अर्थात फिसलने वाले पत्थर के पास इकट्ठे होते है। और उसके ऊपर बारी बारी फिसलते हुए खेलते है। बच्चे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते है। गांव के बच्चों में भी अब राक्षस का कोई भय नहीं रहा। पत्थर ढलान में होने के कारण बच्चे उस पर फिसलते हुए खेलने लगे। तब से इस पत्थर का नाम घरीशनी जान पड़ा । माता के गुर लाभ सिंह बताते है कि गांव में जितने भी लोग रहते है बचपन में सभी हर वर्ष साजे के दिन इस पत्थर के ऊपर फिसलने वाले खेल की और पकवान चढ़ाने की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे।
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